Monday, February 18, 2019

हमारे गाँव की बड़ी नीम


बड़ी नीम à कुछ वर्षो पूर्व बीच चौक में एक नीम हुआ करती थी । उसका नाम बड़ी नीम था ! वो बिल्कुल अपने नाम के अनुरूप थी । मोटा-सा तना,7- 8 फीट जड़ो का ऊँचा ऊँठा टीला;10-12 फीट ऊँचा तना । उससे निकली अनेकों शाखाएँ । मानों उसकी ऊँचाई उसके नाम को सार्थक कर रही हों । वो अनेको पशु-पक्षियों की शरणस्थली थी । आमतौर पर तोतो की,तोतो के अलावा भी उसमें अनेक जीव रहते थे । जैसे-गिलहरियाँ,कौएँ,चिडियाँ,गौरेया आदि ।  वर्षो पूर्व हमारा गाँव (अहमदपुरा) उसी नीम की छत्रछाया में बसा होगा । कुछ वर्षो पूर्व गाँव बड़ी नीम के आस-पास बसा हुआ था । उस नीम पर श्रावण मास की अमावस्या को झूले का आनन्द लिया जाता था । पूरा गाँव वहाँ झूला झूलता था,झूला इतना ऊँचा चढ़ता था कि सारा गाँव का नजारा दिख जाता था । उस नीम की जडे जो कापी ऊँची थी,उनमें कई कलाकृतियाँ थी । जिनमें बच्चे धूल से खेला करते थे,वे जडे मानो बच्चों का बड़ा सा खिलोना हो । हर मौंसम में उस नीम के नीचे बच्चो का जमघट (भीड़) लगा रहता था । गर्मियो मे तो वो और आनन्दायक थी,उसकी छाया में तन को शुकून मिलता था । वो नीम हमारें गाँव का वर्षो का इतिहास समेटे थी ।  शायद वो नीम हमारें गाँव की सबसे अनमोल धरोहर थी,लेकिन अब नहीं ! उस लगभग 2007-08 में काट दिया गया । मुझे आज भी याद है,जब उस नीम को काटा गया और तने को ट्रेक्टर द्वारा गिराया गया तो उसमें से कई तोते निकल कर भागे थे । आज वर्तमान मे उस नीम के स्थान राम-जानकी (ठाकुर-ठकुरानी) मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है । जो बहुत जल्द भविष्य मे पूर्ण होगा । इस मंदिर के निर्माण के लिए उस नीम ने अपने को मिटा दिया ताकि मंदिर की नीव रखी जा सके । मंदिर भी नीम की सार्थकता को सिध्द करेगा ।
नीम के शायद यहीं विचार होगें -- वर्षो से फला-फूला यह गाँव मेरी छाया में,अब फले-फूले भगवान तूम्हारी छत्रछाया में ।।

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